हज़रत-ए-शैख़ सदर उद्दीन आरिफ़ सुह्रवर्दी
रहमतुह अल्लाह अलैहि
आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की विलादत बासआदत ६२१हिज्री मुल्तान में हुई। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि शेख़ अलाव सलाम बहा-उद-दीन ज़करीया मुल्तानी रहमतुह अल्लाह अलैहि के फ़र्ज़ंद अर्जुमंद और सज्जादा नशीन थे। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि का इस्म गिरामी मुहम्मद था और सदर उद्दीन और आरिफ़ अलक़ाबात हैं। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने इबतिदाई तालीम अपने वालिद मुहतरम हज़रत बहा-उद-दीन ज़करीया मुल्तानी रहमतुह अल्लाह अलैहि से हासिल की।
साहिब अनवार गोसिया फ़रमाते हैं कि आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की तर्बीयत हज़रत बहा-उद-दीन ज़करीया रहमतुह अल्लाह अलैहि की ज़ेर-ए-निगरानी हुई और वही आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के उलूम बातिनी-ओ-ज़ाहिरी के उस्ताद हैं। जब उस्ताद ऐसा क़ाबिल हवावर शागिर्द भी बाकमाल हो तो फिर तालीम वित्र बैत का क्या कहना। चुनांचे थोड़े ही अर्सा में शेख़ सदर उद्दीन रहमतुह अल्लाह अलैहि इलम वफ़ज़ल में उगाना रोज़गार होगए। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि हाफ़िज़-ए-क़ुरआन थे और उलूम दयनीय में भी आप रहमतुह अल्लाह अलैहि का कोई हमपाया ना था। जब ज़ाहिरी उलूम से फ़ारिग़ होगए तो अपने वालिद माजिद के दस्त मुबारक पर बैअत फ़रमाई और इलम बातिनी की तकमील फ़रमाई।
आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के लक़ब आरिफ़ की वजह तसमीया ये है कि जब आप रहमतुह अल्लाह अलैहि क़ुरआन मजीद पढ़ते या ख़त्म फ़रमाते तो मार्फ़त के नए नए इसरार विर्मोज़ आप रहमतुह अल्लाह अलैहि पर अयाँ होजाते। हज़रत ज़करीया रहमतुह अल्लाह अलैहि के विसाल के बाद आप रहमतुह अल्लाह अलैहि उन के सज्जादा नशीन मुंतख़ब हुए।
एक मर्तबा फ़र्ग़ाना की शहज़ादी बीबी रास्ती ख़ाना काअबा में तवाफ़ कररही थीं कि उन्हों ने आप रहमतुह अल्लाह अलैहि को देखा तो आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की पुश्त से शुवाएं मुनाकिस हो रहें थीं। यूं लगता था जैसे नूर का सेलाब उमड आया हो। ये इस अमर की अलामत थी कि इस नौजवान के सल्ब में कोई ऐसा वजूद पोशीदा है जो अपने दौर का क़ुतुब अलाक़ताब होगा। जब आप रहमतुह अल्लाह अलैहि तवाफ़ ख़त्म करचुके तो बी य रास्ती आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की तरफ़ लपकीं और बोलीं जनाब का इस्म शरीफ़ किया है और कहाँ से तशरीफ़ लाए हैं। इस पर आप रहमतुह अल्लाह अलैहि बोले मेरा नाम सदर उद्दीन है और में हिंदूस्तान के शहर मुल्तान का रहने वाला हूँ। शहज़ादी ने ये सुना तो कहा कि गोया आप रहमतुह अल्लाह अलैहि बहा-उद-दीन ज़करीया के मुल्तान से तशरीफ़ लाए हैं। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने कहा हाँ और मुझे उन की फ़र्ज़ंदी का शरफ़ भी हासिल है।
ये सन कर शहज़ादी ने दरयाफ़त क्या क्या आप रहमतुह अल्लाह अलैहि शादीशुदा हैं। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने नफ़ी में जवाब दिया। इस के बाद शहज़ादी बीबी रास्ती ने कहा कि अगर आप रहमतुह अल्लाह अलैहि शहज़ादी के ख़ाहिशमंद हूँ तो में एक ऐसे रिश्ते तक आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की रहनुमाई करसकती हूँ जो आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के लिए बहुत मुनासिब रहेगा। ये सन कर हज़रत सदर उद्दीन आरिफ़ रहमतुह अल्लाह अलैहि ने फ़रमाया जहां तक शादी का ताल्लुक़ है तो ये बात मेरे वालिद के मुताल्लिक़ है। वो जो भी फ़ैसला करेंगे मुझे क़बूल होगा।
फ़र्ग़ाना के सुलतान जमाल उद्दीन भी एक दरवेश सिफ़त बाकमाल बुज़ुर्ग थे। उन की ये दिल्ली ख़ाहिश थी कि वो अपने इस फ़र्ज़ से जल्द-अज़-जल्द सबख़दोश होजाएं। जब शहज़ादी वापिस फ़र्ग़ाना पहुंची तो इस ने हज़रत सदर उद्दीन रहमतुह अल्लाह अलैहि के बारे में तमाम माजरा कह सुनाया। सुलतान जमाल उद्दीन ने ये सुना तो ख़ुश होगए लिहाज़ा उन्हों ने मुल्तान जाने का फ़ैसला किया।
जब सुलतान जमाल उद्दीन और उन का शाही क़ाफ़िला मुल्तान की हदूद में दाख़िल हुआ तो हज़रत बहा-उद-दीन ज़करीया रहमतुह अल्लाह अलैहि ने अपने ख़ुलफ़ा के साथ शाही मेहमानों का इस्तिक़बाल किया और उन्हें अपनी रिहायश गाह में ले गए। मुल्तान में जहां आज-कल बीबी पाक दामन का मज़ार है वहां उस ज़माने में हज़रत बहा-उद-दीन ज़करीया रहमतुह अल्लाह अलैहि का आलीशान महल और बाग़ था।
मुल्तान पहुंचने के बाद दूसरे दिन दौरान मुलाक़ात सुलतान फ़र्ग़ाना जमाल उद्दीन ने हज़रत बहा-उद-दीन ज़करीया रहमतुह अल्लाह अलैहि से इस बात की ख़ाहिश ज़ाहिर की कि वो अपनी साहबज़ादी की शादी किसी मख़दूमज़ उदय से करना चाहते हैं। हज़रत बहा-उद-दीन ज़करीया रहमतुह अल्लाह अलैहि ने फ़रमाया मेरे बेटे भी आप के सामने बैठे हैं। आप जिसे अपनी फ़र्ज़ंदी में लेना चाहते हैं उसे अपना बेटा बना लें। ये सन कर सुलतान जमाल उद्दीन ने फ़ौरन सदर उद्दीन आरिफ़ रहमतुह अल्लाह अलैहि की तरफ़ इशारा कर दिया जिस पर हज़रत बहा-उद-दीन ज़करीया रहमतुह अल्लाह अलैहि ने फ़ौरन आमादगी ज़ाहिर करदी। चुनांचे पूरी महफ़िल में मुसर्रत और अनसबात की लहर दौड़ गई। और सभी ने एक दूसरे को मुबारकबाद देना शुरू करदी। इस तरीक़े से आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की शादी फ़र्ग़ाना की शहज़ादी बीबी रास्ती से होगई।
शेख़ अहमद नामी एक शराबी सौदागर कंधार में रहता था। वो अपना अस्बाब तिजारत लेकर मुल्तान आया और बाज़ार में किराए पर दूकान हासिल करके कारोबार शुरू कर दिया। शहर भर में उस की शौहरत होगई किसी ने हज़रत सदर उद्दीन आरिफ़ रहमतुह अल्लाह अलैहि से उस की मह नोशी का ज़िक्र कर दिया और अर्ज़ की कि हुज़ूर शहर के तमाम बे फ़िक्रे इस के हाँ जमा रहते हैं और दिन भर शराब का दौर चलता है। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने फ़रमाया जब में बाज़ार से गुज़रों तो मुझे भी वो नौजवान दिखाना।
एक दिन आप रहमतुह अल्लाह अलैहि बाज़ार से गुज़रे तो ख़ादिम ने अर्ज़ की हुज़ूर यही वो सौदागर है जिस की मह ख़ोरी का चर्चा शहर भर में मशहूर है। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने ख़ादिम से फ़रमाया जिस तरह भी मुम्किन हो उस नौजवान को मेरे पास ले आओ। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि का ख़ादिम उस नौजवान को ले आया और आप रहमतुह अल्लाह अलैहि उसे अपने हमराह हुजरा शरीफ़ में ले आए। गर्मी का मौसम था ख़ादिम ने शर्बत का पियाला हज़रत सदर उद्दीन आरिफ़ रहमतुह अल्लाह अलैहि की ख़िदमत में पेश किया। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने इस में से एक दो घूँट पी कर बक़ाया शर्बत का पियाला उस नौजवान को देदिया और फ़रमाया उसे पियो। इस के पीते ही इस शराबी नौजवान का बातिन अनवार इलाही से जगमगा उठा। फ़ौरन आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के क़दमों में गिर पड़ा तौबा की और बैअत की इलतिमास की। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने उसे उठा कर गले से लगा लिया और अपने हलक़ा बैअत में शामिल कर दिया।
हज़रत-ए-शैख़ सदर उद्दीन आरिफ़ रहमतुह अल्लाह अलैहि २३ज़ी उल-हज्ज ६८४हिज्री को इस दार फ़ानी से रुख़स्त हुए।आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की आख़िरी आरामगाह मुल्तान में है और आप रहमतुह अल्लाह अलैहि अपने वालिद हज़रत बहा-उद-दीन ज़करीया रहमतुह अल्लाह अलैहि के पहलू में सपुर्द-ए-ख़ाक हुए।